રવિવાર, 9 ડિસેમ્બર, 2018

Reality of life. A few thoughts

*✍सदुपदेश👇*
मैंने  बचपन में एक बार मां से कहा:_
_मां कूड़ेवाला आया है,_
_मां ने जवाब दिया:- बेटा कूड़े वाले तो हम हैं, वो तो सफाई वाला है।_
Waheguru ji

*✍सदुपदेश👇*
_अपना “दर्द” सबको ना बताएं ,_
_क्योंकि सबके घर में “मरहम” नहीं होता।_
_मगर “नमक” हर एक के घर में होता है..!_
WAHEGURU

*✍सदुपदेश👇*
_दूसरों की छांव में खड़े रहकर हम अपनी परछाई खो देते हैं,_
_अपनी परछाई के लिये हमें धूप में खड़ा होना पड़ता है ..!!_
WAHEGURU

*✍सदुपदेश👇*
_लोग चले हैं जन्नत को पाने की खातिर...._
_बेखबरों को इतला कर दो कि मां घर पर ही है...._
WAHEGURU

*✍सदुपदेश👇*
_कूड़े के ढेर में फेंकी रोटियां रोज ये बया करती हैं ,_
_कि पेट भरते ही इंसान अपनी औकात भूल जाता है।।_
WAHEGURU

*✍सदुपदेश👇*
_क्यों हम भरोसा करें गैरो पर,_
_जबकि हमें चलना है अपने ही पैरों पर...!_
WAHEGURU

*_✍सदुपदेश_👇*
_पता नहीं क्यों लोग रिश्ता छोड़ देते हैं मगर ज़िद नहीं छोड़ते !_
*WAHEGURU

*✍ सदुपदेश👇*
*कटु सत्य,*
_ठंडी रोटी अक्सर उनके नसीब में होती है!_
_जो अपनों के लिए कमाई करके देरी से घर लोटते हैं।_
WAHEGURU

*✍सदुपदेश👇*
*अनकहे अल्फाज़*
_वक्त का सितम देखिए जनाब औलाद कह रही है मुफ्त की रोटी खाता है बूढ़ा बाप.!!!_
WAHEGURU

ટિપ્પણીઓ નથી: