રવિવાર, 31 જુલાઈ, 2016

What is to rain?

 

हट्ट पागल ...
बारिश का होना केवल काले बादलों से बूंदों का गिरना थोड़े ही है 
वे तो बारिश लाती हैं
बताऊँ ? क्या होते हैं बारिश के मायने ...
धड़कनों का मोर बन जाना है बारिश
बदन का मुस्कराहट बन जाना है बारिश
आँखों का जुगनू बन जाना है बारिश 
बाहों का झप्पी बन जाना है बारिश
सड़कों का संतूर बन जाना है बारिश 
पहाड़ों को कहवे की तलब उठना है बारिश 
नदियों की गुल्लक भर जाना है बारिश 
जंगलों का किलकारी बन जाना है बारिश
रांझों का जोगी हो जाना है बारिश
हीरों का नटनी हो जाना है बारिश
खुदा के पेहरन का कच्चा हरा रंग छूट जाना है बारिश
रातों का झींगुर हो जाना है बारिश
धरती का खुशबू हो जाना है बारिश 
सूरज का एक झपकी मार लेना है बारिश 
रेनकोट के भीतर तरबतर हो जाना है बारिश 
यादों की इक सूखी पत्ती का हरिया जाना है बारिश
आसमान का टिपटिप हो जाना है बारिश 
शहरों का छप छप हो जाना है बारिश 
मौसम का रिमझिम हो जाना है बारिश 
रागों का घन घन हो जाना है बारिश
नज्मों के चेहरों पर बूंदों का झिलमिलाना है बारिश 
सीले ख़्वाबों का सुलग उठना है बारिश
मन का सबसे कच्चा कोना रिसने लगना है बारिश 
बूढ़ी पृथ्वी के जोड़ों में इक कसक है बारिश
पुराने एल्बम पलटना है बारिश 
ड्राफ्ट्स में सहेजा एक ख़त दसियों बार पढना है बारिश 
गुलज़ार , पंचम और ब्लैक कॉफ़ी है बारिश 
छतरी ठेले से टिका भुट्टे खाना है बारिश और
तुम्हारा मेरा माथा चूम लेना है बारिश .....
गंदे पेरों की छाप पर माँ की धुरकी है बारिश
घर में गिले कपड़ों की सिलन है बारिश
कड़ाई से निकलते पकोड़े की सुगंध है बारिश
हर थोड़ी देर में चाय की चुस्की है बारिश
हमसफ़र के साथ लम्बी तफ़री है बारिश
तन्हाई में गिरते अश्क़ों की रुबॉइ है बारिश

और क्या कहे क्या होती है बारिश

For something better

From my brother's home. Junagadh.

As I look back on my life,
I realize that every time
I thought I was being rejected from something good,
I was actually being redirected to something better.
🙏GM🙏

શનિવાર, 30 જુલાઈ, 2016

Loving someone

The most beautiful part to loving someone with a guarded heart is this: When they let us in, it’s not because they need us. They stopped needing people a long time ago.
It’s because they want us. They want to be part of our life. And that – that is the purest love of all

O rain please come now

આમ ઉપર ઉપર વાદળ થઈ જોયા કરો તે તો ના ચાલે.
હે વર્ષા રાણી દિલ થી વરસો હવે તમારી ખોટ બહુ સાલે.
(Jamnagar)

શુક્રવાર, 29 જુલાઈ, 2016

Is competition everywher good?

Competing with Others
I was jogging one day and I noticed a person in front of me, about 1/4 of mile. I could tell he was running a little slower than me and I thought, good, I shall try to catch him. I had about a mile to go my path before I needed to turn off. So I started running faster and faster. Every block, I was gaining on him just a little bit. After just a few minutes I was only about 100 yards behind him, so I really picked up the pace and push myself. You would have thought I was running in the last leg of London Olympic competition. I was determined to catch him. Finally, I did it! I caught and passed him by. On the inside I felt so good.
"I beat him" of course, he didn’t even know we were racing. After I passed him, I realized I had been so focused on competing against him that I had missed my turn. I had gone nearly six blocks past it. I had to turn around and go all back. Isn’t that what happens in life when we focus on competing with co–workers, neighbors, friends, family, trying to outdo them or trying to prove that we are more successful or more important? We spend our time and energy running after them and we miss out on our own paths to our God given destinies.
The problem with unhealthy competition is that it’s a never ending cycle. There will always be somebody ahead of you, someone with better job, nicer car, more money in the bank, more education, better behaved children, etc. But realize that "You can be the best that you can be, you are not competing with no one." Some people are insecure because they pay too much attention 2 what others are doing, where others are going, wearing & driving. Take what God has given you, the height, weight & personality. Dress well & wear it proudly! You’ll be blessed by it. Stay focused and live a healthy life. There’s no competition in DESTINY, run your own RACE and wish others WELL!

Waiting for things which never existed

The third goat

तीसरी बकरी
रोहित और मोहित बड़े शरारती बच्चे थे, दोनों 5th स्टैण्डर्ड के स्टूडेंट थे और एक साथ ही स्कूल आया-जाया करते थे।

एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गयी तब मोहित ने रोहित से कहा, “ दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है?”

“बताओ-बताओ…क्या आईडिया है?”, रोहित ने एक्साईटेड होते हुए पूछा।
मोहित- “वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।”

रोहित- “ तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?”

मोहित-” हम आज सबसे अंत में स्कूल से निकलेंगे और जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल जब स्कूल खुलेगा तब सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी…”
रोहित- “पर इतनी बड़ी बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है, कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ नार्मल हो जाएगा….”
मोहित- “हाहाहा…यही तो बात है, वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस तुम देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!”
इसके बाद दोनों दोस्त छुट्टी के बाद भी पढ़ायी के बहाने अपने क्लास में बैठे रहे और जब सभी लोग चले गए तो ये तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये।
अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गोला बना दिया। इसके बाद मोहित बोला, “अब मैं इन बकरियों पे नंबर डाल देता हूँ।, और उसने सफेद रंग से नंबर लिखने शुरू किये-

पहली बकरी पे नंबर 1
दूसरी पे नंबर 2
और तीसरी पे नंबर 4
“ये क्या? तुमने तीसरी बकरी पे नंबर 4 क्यों डाल दिया?”, रोहित ने आश्चर्य से पूछा।
मोहित हंसते हुए बोला, “ दोस्त यही तो मेरा आईडिया है, अब कल देखना सभी तीसरी नंबर की बकरी ढूँढने में पूरा दिन निकाल देंगे…और वो कभी मिलेगी ही नहीं…”
अगले दिन दोनों दोस्त समय से कुछ पहले ही स्कूल पहुँच गए।
थोड़ी ही देर में स्कूल के अन्दर बकरियों के होने का शोर मच गया।
कोई चिल्ला रहा था, “ चार बकरियां हैं, पहले, दुसरे और चौथे नंबर की बकरियां तो आसानी से मिल गयीं…बस तीसरे नंबर वाली को ढूँढना बाकी है।”
स्कूल का सारा स्टाफ तीसरे नंबर की बकरी ढूढने में लगा गया…एक-एक क्लास में टीचर गए अच्छे से तालाशी ली। कुछ खोजू वीर स्कूल की छतों पर भी बकरी ढूंढते देखे गए… कई सीनियर बच्चों को भी इस काम में लगा दिया गया।
तीसरी बकरी ढूँढने का बहुत प्रयास किया गया….पर बकरी तब तो मिलती जब वो होती…बकरी तो थी ही नहीं!
आज सभी परेशान थे पर रोहित और मोहित इतने खुश पहले कभी नहीं हुए थे। आज उन्होंने अपनी चालाकी से एक बकरी अदृश्य कर दी थी।
*दोस्तों, इस कहानी को पढ़कर चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आना स्वाभाविक है। पर इस मुस्कान के साथ-साथ हमें इसमें छिपे सन्देश को भी ज़रूर समझना चाहिए। तीसरी बकरी, दरअसल वो चीजें हैं जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन हैं पर वो हमें कभी मिलती ही नहीं….क्योंकि वे reality में होती ही नहीं!*
*_हम ऐसी लाइफ चाहते हैं जो perfect हो, जिसमे कोई problem ही ना हो…. it does not exist!_*
*_हम ऐसा life-partner चाहते हैं जो हमें पूरी तरह समझे जिसके साथ कभी हमारी अनबन ना हो…..it does not exist!_*
*_हम ऐसी job या बिजनेस चाहते हैं, जिसमे हमेशा सबकुछ एकदम smoothly चलता रहे…it does not exist!_*
*क्या ज़रूरी है कि हर वक़्त किसी चीज के लिए परेशान रहा जाए? ये भी तो हो सकता है कि हमारी लाइफ में जो कुछ भी है वही हमारे life puzzle को solve करने के लिए पर्याप्त हो….ये भी तो हो सकता है कि  तीसरी चीज की हम तलाश कर रहे हैं वो हकीकत में हो ही ना….और हम पहले से ही complete हों!

Let us live. Leave a few accounts

Beautiful lines

समय की इस अनवरत
बहती धारा में ..
अपने चंद सालों का
हिसाब क्या रखें .. !!

जिंदगी ने दिया है जब इतना
बेशुमार यहाँ ..
तो फिर जो नहीं मिला उसका
हिसाब क्या रखें .. !!

दोस्तों ने दिया है इतना
प्यार यहाँ ..
तो दुश्मनी की बातों का
हिसाब क्या रखें .. !!

दिन हैं उजालों से इतने
भरपूर यहाँ ..
तो रात के अँधेरों का
हिसाब क्या रखे .. !!

खुशी के दो पल काफी है
खिलने के लिये ..
तो फिर उदासियों का
हिसाब क्या रखें .. !!

हसीन यादों के मंजर इतने हैं
जिंदगानी में ..
तो चंद दुख की बातों का
हिसाब क्या रखें .. !!

मिले हैं फूल यहाँ इतने
किन्हीं अपनों से ..
फिर काँटों की चुभन का
हिसाब क्या रखें .. !!

चाँद की चाँदनी जब इतनी
दिलकश है ..
तो उसमें भी दाग है
ये हिसाब क्या रखें .. !!

जब खयालों से ही पुलक
भर जाती हो दिल में ..
तो फिर मिलने ना मिलने का
हिसाब क्या रखें .. !!

कुछ तो जरूर बहुत अच्छा है
सभी में .......
फिर जरा सी बुराइयों का
हिसाब क्या रखें .. !!

ગુરુવાર, 28 જુલાઈ, 2016

Parents, it is worth taking care


All parents are good, all love their children and all want their children to achieve maximum potential and be something in life that the parents can be proud of. All parents have dreams and expectations from their children.
All this is normal to a certain extent. However, parents should remember that the child has his own mind and heart, his own dream, interests and aptitude.
Here are some few words of wisdoms, which I want all parents to remember: 

1. Never be afraid to show that you love your child.

2. Allow him to grow and allow him his independence. Don't be always interfering and impose your viewpoints on the child. Don't pressurize him to do things, which you want but the child dislikes. 

3. Set an example at home
Children easily pick up and learn from what they see and hear in the house. The perfect way to teach them is setting an example yourself in the house; e.g. If you want your child to help his mother in household work, it is important that you do it first yourself.
Home and environment are very important for the development of the child's personality. Manner, discipline, respecting elders, giving, sharing etc. can be taught to the child only when parents themselves practice these at home.

4. Provide stimulation for the child's aptitude and interest.
A child who is left alone in a pram in his bedroom, a child who is left alone to play with the most expensive toys will never be able to achieve his maximum potential.
Stimulation starts right from when the baby is in the mother's womb. In India, we have traditions that a pregnant woman should pray, visit the temple, read holy books, for it affects the unborn baby. Believe it or not, this is true. The mother should talk to the baby when she is pregnant. Parents should play and interact with the newborn baby, who will respond back in various ways. Parents should take the baby out for walks; make him hear good music etc. Even the type of toys that you buy for your child can stimulate his skills and mental development.
e.g. A colored rattle hanging on the cradle of a newborn babynewborns like colorful and musical objects. At nine-ten months of age, one can show colored pictures in a book. After one year of age, cubes with holes, putting rings on a rod etc. enables the child to learn new skills. At two and half years- three years-crayons for painting, doll-house, kitchen set etc. are favorites for girls.
Last but not least, I will conclude saying, no parents or children are perfect. We all make mistakes and learn from them. However, as parents, it is our duty to love our children, give them our time, teach them the right things and enable them to achieve their maximum potential.
Communication is the key to good parenting. It can be verbal or nonverbal. A gentle touch or caress or a hug says it all...at all stages, newborn to teens. This enhances to build a healthy and loving relationship between parents and children

બુધવાર, 27 જુલાઈ, 2016

Let's get a LIFE, before life gets us, instead....

 *I liked this message.. Felt like sharing* Smiling face with smiling eyes

 Are we earning to pay builders and interior designers, caterers and decorators?

 Whom do we want to impress with our highly inflated house properties & fat weddings?

 Do you remember for more than two days what you ate at someone's marriage?

 Why are we working like dogs in our prime years of life?

 How many generations do we want to feed?

 Most of us have two kids. Many have a single kid.

 How much is the "need" and how much do we actually "want"??
 Think about it._

 Would our next generation be incapable to earn, that we save so much for them!?!

 Can not we spare one and a half days a week for friends, family and self??

 Do you spend even 5% of your monthly income for your self enjoyment?
 Usually...no!_

 Why can't we enjoy simultaneously while we earn?

 Spare time to enjoy before you have slipped discs and cholesterol blocks in your heart!!!

 We don't own properties, we just have temporary name on documents.

 GOD _laughs sarcastically, when someone says,
 "I am the owner of this land"!!

 Do not judge a person only by the length of his car.

 Many of our science and maths teachers were great personalities riding on scooters!!

 It is not bad to be rich, but it is very unfair, to be only rich.

 Let's get a LIFE, before life gets us, instead....

 One day, all of us will get separated from each other; we will miss our conversations of everything & nothing; the dreams that we had.

Days will pass by, months, years, until this contact becomes rare... One day our children will see our pictures and ask 'Who are these people?' And we will    smile with invisible tears because a heart is touched with a strong word and you will say:_ 'IT WAS THEM THAT I HAD THE BEST DAYS OF MY LIFE WITH'.

 Thank you for making me smile for sometime in my life.Clapping hands sign

મંગળવાર, 26 જુલાઈ, 2016

Women are strange

Very beautifully written by Gulzar,

लोग सच कहते हैं -
औरतें बेहद अजीब होतीं है

रात भर पूरा सोती नहीं
थोड़ा थोड़ा जागती रहतीं है
नींद की स्याही में
उंगलियां डुबो कर
दिन की बही लिखतीं
टटोलती रहतीं है
दरवाजों की कुंडियाॅ
बच्चों की चादर
पति का मन..
और जब जागती हैं सुबह
तो पूरा नहीं जागती
नींद में ही भागतीं है

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं

हवा की तरह घूमतीं, कभी घर में, कभी बाहर...
टिफिन में रोज़ नयी रखतीं कविताएँ
गमलों में रोज बो देती आशाऐं

पुराने अजीब से गाने गुनगुनातीं
और चल देतीं फिर
एक नये दिन के मुकाबिल
पहन कर फिर वही सीमायें
खुद से दूर हो कर भी
सब के करीब होतीं हैं

औरतें सच में, बेहद अजीब होतीं हैं

कभी कोई ख्वाब पूरा नहीं देखतीं
बीच में ही छोड़ कर देखने लगतीं हैं
चुल्हे पे चढ़ा दूध...

कभी कोई काम पूरा नहीं करतीं
बीच में ही छोड़ कर ढूँढने लगतीं हैं
बच्चों के मोजे, पेन्सिल, किताब
बचपन में खोई गुडिया,
जवानी में खोए पलाश,

मायके में छूट गयी स्टापू की गोटी,
छिपन-छिपाई के ठिकाने
वो छोटी बहन छिप के कहीं रोती...

सहेलियों से लिए-दिये..
या चुकाए गए हिसाब
बच्चों के मोजे, पेन्सिल किताब

खोलती बंद करती खिड़कियाँ
क्या कर रही हो?
सो गयी क्या ?
खाती रहती झिङकियाँ

न शौक से जीती है ,
न ठीक से मरती है
कोई काम ढ़ंग से नहीं करती है

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

कितनी बार देखी है...
मेकअप लगाये,
चेहरे के नील छिपाए
वो कांस्टेबल लडकी,
वो ब्यूटीशियन,
वो भाभी, वो दीदी...

चप्पल के टूटे स्ट्रैप को
साड़ी के फाल से छिपाती
वो अनुशासन प्रिय टीचर
और कभी दिख ही जाती है
कॉरीडोर में, जल्दी जल्दी चलती,
नाखूनों से सूखा आटा झाडते,

सुबह जल्दी में नहाई
अस्पताल मे आई वो लेडी डॉक्टर
दिन अक्सर गुजरता है शहादत में
रात फिर से सलीब होती है...

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं

सूखे मौसम में बारिशों को
याद कर के रोतीं हैं
उम्र भर हथेलियों में
तितलियां संजोतीं हैं

और जब एक दिन
बूंदें सचमुच बरस जातीं हैं
हवाएँ सचमुच गुनगुनाती हैं
फिजाएं सचमुच खिलखिलातीं हैं

तो ये सूखे कपड़ों, अचार, पापड़
बच्चों और सारी दुनिया को
भीगने से बचाने को दौड़ जातीं हैं...

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

खुशी के एक आश्वासन पर
पूरा पूरा जीवन काट देतीं है
अनगिनत खाईयों को
अनगिनत पुलो से पाट देतीं है.

सच है, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं ।

ऐसा कोई करता है क्या?
रस्मों के पहाड़ों, जंगलों में
नदी की तरह बहती...

कोंपल की तरह फूटती...

जिन्दगी की आँख से
दिन रात इस तरह
और कोई झरता है क्या?
ऐसा कोई करता है क्या?

सच मे, औरतें बेहद अजीब होतीं हैं

સોમવાર, 25 જુલાઈ, 2016

Parents are parents.

માતા-પિતાનું ઋણ કેમ કરી ઊતરશે ?

એક નાનો બાળક હતો. બાળકને કેરીનું ઝાડ (આંબો) બહુ ગમતો. જ્યારે નવરો પડે કે તુરંત આંબા પાસે પહોંચી જાય. આંબા પર ચડે, કેરી ખાય અને રમીને થાકે એટલે આંબાના વૃક્ષની ઘટાદાર છાયામાં સૂઈ જાય. બાળક અને આ વૃક્ષ વચ્ચે એક અનોખો સંબંધ હતો.
બાળક જેમ જેમ મોટો થવા લાગ્યો તેમ તેમ એણે આંબા પાસે આવવાનું ઓછું કરી દીધું. અમુક સમય પછી તો સાવ આવતો જ બંધ થઈ ગયો. આંબો એકલો એકલો બાળકને યાદ કરીને રડ્યા કરે. એક દિવસ અચાનક એને પેલા બાળકને પોતાના તરફ આવતો જોયો. આંબો તો ખુશ થઈ ગયો.

બાળક જેવો નજીક આવ્યો એટલે આંબાએ કહ્યું, “તું ક્યાં ચાલ્યો ગયો હતો ? હું રોજ તને યાદ કરતો હતો. ચાલ હવે આપણે બંને રમીએ.” બાળક હવે મોટો થઈ ગયો હતો. એણે આંબાને કહ્યું, “હવે મારી રમવાની ઉંમર નથી. મારે ભણવાનું છે પણ મારી પાસે ફી ભરવાના પૈસા નથી.” આંબાએ કહ્યું “તું મારી કેરીઓ લઈ જા. એ બજારમાં વેચીશ એટલે તને ઘણા પૈસા મળશે. એમાંથી તું તારી ફી ભરી આપજે.” બાળકે આંબા પરની બધી જ કેરીઓ ઉતારી લીધી અને ચાલતો થયો.
ફરીથી એ ત્યાં ડોકાયો જ નહીં. આંબો તો એની રોજ રાહ જોતો, એક દિવસ અચાનક એ આવ્યો અને કહ્યું, “હવે તો મારા લગ્ન થઈ ગયા છે. મને નોકરી મળી છે એનાથી ઘર ચાલે છે પણ મારે મારું પોતાનું ઘર બનાવવું છે એ માટે મારી પાસે પૈસા નથી.” આંબાએ કહ્યું, “ચિંતા ન કર. મારી બધી ડાળીઓ કાપીને લઈ જા. એમાંથી તારું ઘર બનાવ.” યુવાને આંબાની ડાળીઓ કાપી અને ચાલતો થયો.

આંબો હવે તો સાવ ઠૂંઠો થઈ ગયો હતો. કોઈ એની સામે પણ ન જુવે. આંબાએ પણ હવે પેલો બાળક પોતાની પાસે આવશે એવી આશા છોડી દીધી હતી. એક દિવસ એક વૃદ્ધ ત્યાં આવ્યો. તેણે આંબાને કહ્યું, “તમે મને નહીં ઓળખો પણ હું એ જ બાળક છું જે વારંવાર તમારી પાસે આવતો અને તમે મદદ કરતા.” આંબાએ દુઃખ સાથે કહ્યું, “પણ બેટા હવે મારી પાસે એવું કંઈ નથી જે હું તને આપી શકું.”
વૃદ્ધે આંખમાં આંસુ સાથે કહ્યું, “આજે કંઈ લેવા નથી આવ્યો. આજે તો મારે તમારી સાથે રમવું છે. તમારા ખોળામાં માથું મૂકીને સૂઈ જવું છે.” આટલું કહીને એ રડતાં રડતાં આંબાને ભેટી પડ્યો અને આંબાની સુકાયેલી ડાળોમાં પણ નવા અંકુર ફૂટ્યા.

વૃક્ષ એ આપણાં માતા-પિતા જેવું છે જ્યારે નાના હતા ત્યારે એમની સાથે રમવું ખૂબ ગમતું. જેમ જેમ મોટા થતા ગયા તેમ તેમ એમનાથી દૂર થતા ગયા નજીક ત્યારે જ આવ્યા જ્યારે કોઈ જરૂરિયાત ઊભી થઈ કે કોઈ સમસ્યા આવી. આજે પણ એ ઠૂંઠા વૃક્ષની જેમ રાહ જુવે છે. આપણે જઈને એને ભેટીએ ને એને ઘડપણમાં ફરીથી કૂંપણો ફૂટે...

ક્યાંક કોઈની આંખ ખુલી જાય ...તો ક્યાંક કોઈની આંખ ભીની પણ થઈ જાય...

Please do not through coins in rivers or drinking water sources

नदी में भी पैसे नहीं डालने चाहिए।*
इसी लिए लिखा गया ।

*"अर्थव्यवस्था पर भारी आस्था"* एक लेख ❗

हमारे देश में रोज न जाने कितनी रेलगाडियां न जाने कितनी नदियों को पार करती हैं और उनके यात्रियों द्वारा हर रोज नदियों में सिक्के फेकने का चलन । अगर रोज के सिक्को के हिसाब से गणना की जाये तो ये रकम कम से कम दहाई के चार अंको को तो पार करती होगी । सोचो अगर इस तरह हर रोज भारतीय मुद्रा ऐसे फेक दी जाती इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुँचता होगा ? ये तो एक अर्थशास्त्री ही बता सकता। लेकिन एक रसायनज्ञ होने के नाते ये जरूर लोगों को सिक्के की धातु के बारे में जागरूक कर सकता हूँ । *वर्तमान सिक्के 83% लोहा और 17 % क्रोमियम के बने होते है।* आप सबको ये बता दूँ कि 
*क्रोमियम एक भारी जहरीली धातु है।* 
*क्रोमियम दो अवस्था में पाया जाता है, एक Cr (III) और दूसरी Cr (IV)। पहली अवस्था जहरीली नही मानी गई बल्कि क्रोमियम (IV) की दूसरी अवस्था 0.05% प्रति लीटर से ज्यादा हमारे लिए जहरीली है। जो सीधे कैंसर जैसी असाध्य बीमारी को जन्म देती है।*
सोचो एक नदी जो अपने आप में बहुमूल्य खजाना छुपाये हुए है और हमारे एक दो रूपये से कैसे उसका भला हो सकता है ? 
*सिक्के फेकने का चलन तांबे के सिक्के से है।* 
एक समय मुगलकालीन समय में दूषित पानी से बीमारियां फैली थी तो, राजा ने प्रजा के लिए ऐलान करवाया कि हर व्यक्ति को अपने आसपास के जल के स्रोत या जलाशयों में तांबे के सिक्के को फेकना अनिवार्य कर दिया। क्योंकि *तांबा जल को शुद्ध करने वाली सबसे अच्छी धातु है।*
*आजकल सिक्के नदी में फेकने से उसके ऊपर किसी तरह का उपकार नही बल्कि जल प्रदूषण और बीमारियों को बढ़ावा दे रहे है।*
इसलिए आस्था के नाम पर भारतीय मुद्रा को हो रहे नुकसान को रोकने की जिम्मेदारी हम सब नागरिकों की है ।
देशहित में सहयोग करे 
*। जय हिन्द ।*
कृपया पुन: आपसे निवेदन है कि इसे आप अपने मित्रों, बच्चों तथा अशिक्षित  व्यक्तियों  को विशेष रूप से समझाएँ ताकि अज्ञानता में गलती न हो ।
धन्यवाद

Let us take thoughtful challenges in life

एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने  के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आदमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?”

दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में ले गए। वहां जाकर दादा जी ने दो छोटे-छोटे पौधे खरीदे और घर वापस आ गए।वापस लौट कर उन्होंने एक पौधा घर के बाहर लगा दिया और एक पौधा गमले में लगा कर घर के अन्दर रख दिया।

“क्या लगता है तुम्हे, इन दोनों पौधों में से भविष्य में कौन सा पौधा अधिक सफल होगा?”, दादा जी ने लड़के से पूछा। लड़का कुछ क्षणों तक सोचता रहा और फिर बोला, ” घर के अन्दर वाला पौधा ज्यादा सफल होगा क्योंकि वो हर एक खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को तेज धूप, आंधी-पानी, और जानवरों से भी खतरा है…”

दादाजी बोले, ” चलो देखते हैं आगे क्या होता है !”, और वह अखबार उठा कर पढने लगे।कुछ दिन बाद छुट्टियाँ ख़तम हो गयीं और वो लड़का वापस शहर चला गया।

इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देते रहे और समय बीतता गया। ३-४ साल बाद एक बार फिर वो अपने पेरेंट्स के साथ गाँव घूमने आया और अपने दादा जी को देखते ही बोला, “दादा जी, पिछली बार मैं आपसे successful होने के कुछ टिप्स मांगे थे पर आपने तो कुछ बताया ही नहीं…पर इस बार आपको ज़रूर कुछ बताना होगा।”
दादा जी मुस्कुराये और लडके को उस जगह ले गए जहाँ उन्होंने गमले में पौधा लगाया था। अब वह पौधा एक खूबसूरत पेड़ में बदल चुका था। लड़का बोला, ” देखा दादाजी मैंने कहा था न कि ये वाला पौधा ज्यादा सफल होगा…”

“अरे, पहले बाहर वाले पौधे का हाल भी तो देख लो…”, और ये कहते हुए दादाजी लड़के को बाहर ले गए, बाहर एक विशाल वृक्ष गर्व से खड़ा था! उसकी शाखाएं दूर तक फैलीं थीं और उसकी छाँव में खड़े राहगीर आराम से बातें कर रहे थे।

“अब बताओ कौन सा पौधा ज्यादा सफल हुआ?”, दादा जी ने पूछा।
“…ब..ब…बाहर वाला!….लेकिन ये कैसे संभव है, बाहर तो उसे न जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा होगा….फिर भी…”, लड़का आश्चर्य से बोला।

दादा जी मुस्कुराए और बोले, “हाँ, लेकिन challenges face करने के अपने rewards भी तो हैं, बाहर वाले पेड़ के पास आज़ादी थी कि वो अपनी जड़े जितनी चाहे उतनी फैला ले, आपनी शाखाओं से आसमान को छू ले…बेटे, इस बात को याद रखो और तुम जो भी करोगे उसमे सफल होगे- अगर तुम जीवन भर safe option choose करते हो तो तुम कभी भी उतना नहीं grow कर पाओगे जितनी तुम्हारी क्षमता है, लेकिन अगर तुम तमाम खतरों के बावजूद इस दुनिया का सामना करने के लिए तैयार रहते हो तो तुम्हारे लिए कोई भी लक्ष्य हासिल करना असम्भव नहीं है! लड़के ने लम्बी सांस ली और उस विशाल वृक्ष की तरफ देखने लगा…वो दादा जी की बात समझ चुका था, आज उसे सफलता का एक बहुत बड़ा सबक मिल चुका था!

दोस्तों, भगवान् ने हमें एकmeaningful life जीने के लिए बनाया है। But unfortunately, अधिकतर लोग डर-डर के जीते हैं और कभी भी अपने full potential को realize नही कर पाते। इस बेकार के डर को पीछे छोडिये…ज़िन्दगी जीने का असली मज़ा तभी है जब आप वो सब कुछ कर पाएं जो सब कुछ आप कर सकते हैं…वरना दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ तो कोई भी कर लेता, इसलिए हर समय play it safe के चक्कर में मत पड़े रहिये…जोखिम उठाइए… risk लीजिये और उस विशाल वृक्ष की तरह अपनी life को large बनाइये!

રવિવાર, 24 જુલાઈ, 2016

Did we forget or leave something?

""कुछ रह तो नहीं गया""

एक ऐसी पोस्ट जिसने मुझे हिला
दिया ।

     ""कुछ रह तो नहीं गया""

😑 जिंदगी के सफ़र में चलते चलते हर मुकाम पर यही सवाल परेशान करता रहा.... कुछ रह तो नहीं गया?

😑 3 महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जानेवाली माँ को दाई ने पूछा... कुछ रह तो नहीं गया? पर्स, चाबी सब ले लिया ना?
अब वो कैसे हाँ कहे? पैसे के पीछे भागते भागते... सब कुछ पाने की ख्वाईश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है ,वह ही रह गया है.....

😑 शादी में दुल्हन को बिदा करते ही
शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा..."भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना? चेक करो ठीकसे ।.. बाप चेक करने गया तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे । सब कुछ तो पीछे रह गया... 25 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था लाड से... वो नाम पीछे रह गया और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था वो नाम भी पीछे रह गया अब ...

"भैया, देखा? कुछ पीछे तो नहीं रह गया?" बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आंसू छुपाते बाप जुबाँ से तो नहीं बोला.... पर दिल में एक ही आवाज थी... सब कुछ तो यही रह गया...
😑 बडी तमन्नाओ के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था और वह पढ़कर वही सैटल हो गया , पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया सब कुछ चैक कर लिया कुछ रह तो नही गया ? क्या जबाब देते कि अब छूटने को बचा ही क्या है ....
😑 60 वर्ष पूर्ण कर सेवानिवृत्ति की शाम पी ए ने याद दिलाया चेक कर ले सर कुछ रह तो नही गया ; थोडा रूका और सोचा पूरी जिन्दगी तो यही आने- जाने मे बीत गई ; अब और क्या रह गया होगा ।
😑 "कुछ रह तो नहीं गया?" शमशान से लौटते वक्त किसी ने पूछा । नहीं कहते हुए वो आगे बढ़ा... पर नजर फेर ली, एक बार पीछे देखने के लिए....पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया । भागते हुए गया ,पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की और वापिस लौट आया ।।
दोस्त ने पूछा... कुछ रह गया था क्या?
भरी आँखों से बोला...नहीं कुछ भी नहीं रहा अब...और जो कुछ भी रह गया है वह सदा मेरे साथ रहेगा

     ""कुछ रह तो नहीं गया""

😑 एक बार समय निकालकर सोचे , शायद पुराना समय याद आ जाए, आंखें भर आएं और आज को जी भर जीने का मकसद मिल जाए।

     ""कुछ रह तो नहीं गया"