थप्पड़, चपेट
मैं खुश था
मैं हँस रहा था मैं जनता की सेवा कर रहा था
ऐसा मैंने सोचा था यही मेरा पेशा था
अचानक एक थप्पड़ पड़ा , फिर दुसरा पड़ा और पड़ते ही रहे
समझ नहीं आया क्या गलत किया हमने
तुमने सरकारी आदेश का पालन नहीं किया
ऐसा क्या था, मुफ्त इलाज न किया था
तुम्हारे खिलाफ शिकायत आई है
जवाब दो नहीं तो तुम्हारा लाइसेंस रद्द,
दूसरा थप्पड़ तुम्हारी गलती से मरीज मरा
पर मरीज तो बिमारी से मरा
नहीं तुमने उसे मारा ऐसा बोला उसका बेटा
जिसने उसका इलाज ना कराया कई दिन
अब दुनिया को दिखा रहा है , बाप की चिंता थी
विरासत तो मिल ही गयी थी
तीसरा थप्पड़ अदालत से आया हिला के रख दिया
कुछ करोड़ का हर्जाना रख दिया था
इतनी तो हमारी जमा पूँजी भी नहीं थी
कमाया भी ना था इतना ज़िन्दगी में
क्या पत्नी के गहने गिरवी रखे , जो उसे प्यार से दिए थे
या बैंक से लोन ले
फीस में तो उससे कुछ हजार ही लिये थे
अदालत ने उसकी कीमत कुछ अलग़ ही आँकी थी
समझ नहीं आया, माननीय है सब जानते है
एक ओर थप्पड़ लगा
वाकई में थप्पड़ था
कुछ अनपढ़ ,सफ़ेद कपडे वाले हमे मार रहे थे
मरीज का इलाज ठीके से क्यों नहीं किया , मर कैसे गया
हमे डॉक्टरी सीखा गए
१० साल की पढ़ाई १० मिनट में सीखा गए
फिर एक ओर थप्पड़ मंत्रालय से आया
पैसे कम कर दो ज्यादा मरीज देखो
हावर्ड में पढ़े इकोनॉमिस्ट है , इकॉनमी सिखा रहे थे हमें
अपने सरकारी हॉस्पिटल तो चला नहीं सकते
हमें सिखा रहे थे
लगता था हमे ही कुचल देंगें
दिखा रहे है डाक्टरी को कैसे मारते है
वजूद ही ख़त्म कर दिया है इन लोगो ने
अब तो लगता है कोई भी थप्पड़ जड़ देगा
पसीने से नहा जाते सोते हुए
नींद ना आती ठीक से
जिंदगी कहाँ से शुरू की कहाँ खड़ी हो गयी
लगता था हर कोइ हमे काबू करना चाहता है
मैं डर गया था मैं रो रहा था
मार से भी और अपने डॉक्टर बनने पर भी
माँ बाप की इच्छा पूरी करके गलती की हमने
अच्छा हुआ हमारी औलाद डॉक्टर ना बनी
खुश होना और हँसना तो एक खवाब बन गया
लगता था डॉक्टरी के बारे में डॉक्टर को छोड़ बाक़ी सब जानते है।
बार बार लड़ते लड़ते थक गया हूँ
मैं हसूंगा नहीं पर मुझे मारो मत
हँसने से अब डर लगता था
हँसने से अब डर लगता था
Dr C M Bhagat
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો