समय से पहले जन्मे कमजोर भर्ती बच्चों पर एक डॉक्टर की कविता -
अथ श्री Neonate Katha...
जाने क्यूँ ये वक्त से, पहले निकल आते हैं
preterm naonates हैं भैया, बहुत सताते हैं
महंगे भाव का surfactant शौक से खाते हैं
फेफड़ों में जान नहीं फिर भी चिल्लाते हैं
यूँ तो दिन भर चबड़ चबड़ NG चबाते हैं
पर 1 ml दूध पे इनके 'लूप' दिख जाते हैं
बड़ी मिन्नतों से एक-दो ग्राम वज़न बढ़वाते हैं
महीनों तक ऐश कर लंबा बिल बनवाते हैं
एक दिन ना पाॅटी हो तो पेट फूल जाते हैं
लोग भूलते होंगे बर्थडे, ये साँस भूल जाते हैं
आधा किलो की बाॅडी को यहाँ-वहाँ मटकाते हैं
सरक सरक cradle के कोनों में घुस जाते हैं
कभी लाल कभी नीले कभी पीले पड़ जाते हैं
अपनी सुसु से नालायक सबको नहलाते हैं
हाथ पैर फैला कर साले इतने पोज़ बनाते हैं
बाहुबली तो ये ही हों मानो ऐसा दिखलाते हैं
इतना सारा साबुन, handrub हाथों पे लगाते हैं
फिर भी जाने कैसे इनमें Klebsiella घुस जाते हैं
सारी रात दुखी करते हैं, दिन में सो जाते हैं
एक नंबर के बदमाश हैं, बेवजह दौड़ाते हैं
शैतानों की शक्ल देख कर हम सब भूल जाते हैं
इनमें ही है जान हमारी, चाहे बहुत सताते हैं
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