1- जो मरीज आज तुम्हें दिखा रहा है, वो कल किसी और को दिखा रहा था और परसो किसी और को दिखाएगा। तुम उसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो, यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण है।
2- कोई भी मरीज ना तुम्हारे देखने से बचता है और ना ही तुम्हारे न देखने से मर जायेगा। जब तुम दो महीने की छुट्टी पर जाते हो या या बीमारी की वजह से कई महीने मरीज नहीं देख पाते, तब भी तुम्हारा मरीज दूसरों को दिखा लेता है।
3- जितना तुम्हें मरीज की जरूरत है, उससे ज्यादा मरीज को तुम्हारी जरूरत है। इसलिए मरीज कम होने पर अवसाद की स्थिति से बाहर आओ।
4- अगर तुम्हें किसी बीमारी के कारण या उम्र की वजह से, इंफेक्शन होने की संभावना ज्यादा है, तो ये तुम्हारी समस्या है, मरीज की नहीं। ऐसे में जान बूझकर ज्यादा मरीज देखकर आत्मघाती कदम न उठाओ। अगर तुम्हें कुछ हुआ तो उसका मूल्य तुम्हें या तुम्हारे परिवार को ही चुकाना होगा! बाकी लोग तो फेसबुक पर श्रद्धाजलि देकर दो दिन में भूल जाएंगे और जल्दी ही तुम्हारे अस्पताल की बिक्री का विज्ञापन आ जाएगा।
5- कोई भी मरीज मेरी मर्जी से ही अस्पताल में भर्ती होता है, मेरी मर्जी से ही डिस्चार्ज होता है। तुम अपने इलाज पर क्यों गर्व करते हो। अगर तुम इतने ही शक्तिशाली होते तो तुम्हारे सारे ही मरीज ठीक हो जाते। मगर सत्य ये है कि एक से मरीजों को एक सा इलाज करने के बावजूद कुछ ठीक होते हैं और कुछ नहीं। ये सारा खेल नियति का रचाया हुआ है, तुम तो बस निमित्त मात्र हो।
6- कोई मरीज़ कहता भी तब भी अपने आप को भगवान न समझो। इन्सान बन कर कार्य करो तो दुखद अनुभव कम होंगे
7- मुंह पर मरीज़ चाहें जितनी तुम्हारी बड़ाई करें लेकिन वह आपको लुटेरा और खून चूसक से
ज़्यादा कुछ अहमियत नहीं देगा
7- मरीज़ द्वारा दूसरे डाक्टर की बुराई सुन सुन कर जो तुम्हारे मन में जो लड्डू फूट रहे हैं वह मिथ्या हैं।
यही मरीज दूसरी जगह तुम्हारी बखिया उधेड़ेगा !
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